Sunday, August 17, 2014

Censor Board: जानें कौन-कौन से होते हैं सर्टिफिकेट, कैसे पास होती हैं फिल्में

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हाल ही में CBI ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन यानी सेंसर बोर्ड के CEO राकेश कुमार के खिलाफ मामला दर्ज किया है। साथ ही बोर्ड के एक एजेंट और एडवायजरी कमेटी के एक सदस्य को भी गिरफ्तार किया गया है। खबरों के मुताबिक सेंसर बोर्ड के इस अधिकारी ने एक रीजनल फिल्म पास करवाने के लिए रिश्वत की मांग की थी। इसी खबर के बहाने आइए जानते हैं सुर्खियों में आए सेंसर बोर्ड के बारे में: 
क्या है सेंसर बोर्ड: सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन, जिसे सेंसर बोर्ड या CBFC भी कहा जाता है, भारतीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की संवैधानिक बॉडी है। ये संस्था 1952 के सिनेमेटोग्राफ एक्ट के तहत फिल्मों के प्रसारण पर नजर रखती है। भारत में सेंसर बोर्ड को दिखाए बिना कोई भी फिल्म आम दर्शकों के लिए रिलीज नहीं की जा सकती है। फिल्म को रिलीज करने से पहले सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट लेना जरूरी होता है। 
कैसे हुआ गठन: भारत में पहली फिल्म (राजा हरीशचंद्र) 1913 में बनी। इसके बाद इंडियन सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1920 में बना और तभी लागू हुआ। तब मद्रास (अब चेन्नई), बॉम्बे (अब मुंबई ), कलकत्ता (अब कोलकाता), लाहौर (अब पाकिस्तान में) और रंगून (अब यांगून, बर्मा में) सेंसर बोर्ड पुलिस चीफ के अंडर में था। पहले रीजनल सेंसर्स स्वतंत्र थे। स्वतंत्रता के बाद रीजनल सेंसर्स को बॉम्बे बोर्ड ऑफ़ फिल्म सेंसर्स के अंडर लाया गया। सिनेमेटोग्राफ एक्ट, 1952 लागू होने के बाद बोर्ड का 'सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सेंसर्स' के नाम से पुनर्गठन हुआ। 1983 में एक्ट में कुछ बदलाव के बाद इस संस्था का नाम 'सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन' रखा गया।
कैसे होता है सदस्यों का चयन: सेंसर बोर्ड के चेयरपर्सन और सदस्यों का चयन 2 साल के लिए केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। वर्तमान में भरतनाट्यम डांसर लीला सैमसन इसकी चेयरपर्सन हैं। इसका हेड क्वाटर मुंबई में है। 1951 में बोर्ड के पहले चेयरपर्सन चुने गए थे।
कितने सदस्य होते हैं: एक चेयर पर्सन के अलावा बोर्ड में सदस्यों की संख्या 12 से ज़्यादा और 25 से काम होनी चाहिए। वर्तमान में बोर्ड में 22 मेंबर्स हैं।
कहाँ-कहाँ हैं रीजनल ऑफिस: सेंसर बोर्ड के 9 रीजनल ऑफिस भी हैं। इसके लिए केंद्र द्वारा एक सलाहकार पैनल का गठन भी किया गया है, जो फिल्म सर्टिफिकेशन में रीजनल ऑफिस की सहायता करता है। चेन्नई, कोलकाता, मुंबई, बैंगलोर, तिरुवनंतपुरम, हैदराबाद, नई दिल्ली, कटक, गुवाहाटी में बोर्ड के रीजनल ऑफिस हैं।
कौन-कौन से सर्टिफिकेट: इस वक्त 4 वर्गों में फिल्म को सर्टीफाइड किया जाता है: 
  • U- अप्रतिबंधित: सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए- यानी इस फिल्म को प्रत्येक व्यक्ति देख सकता है। 
  • A- केवल वयस्कों के लिए: यानी इस फिल्म को सिर्फ वयस्क यानी 18 साल से ऊपर के लोग ही देख सकते हैं।  
  • UA- सार्वजनिक प्रदर्शन: लेकिन वयस्कों के साथ- यानी फिल्म को सभी देख सकते हैं, लेकिन 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए माता-पिता का मार्गदर्शन जरूरी है।  
  • S- व्यक्तियों के किसी विशेष वर्ग के लिए
फिल्म सर्टिफिकेशन की प्रक्रिया:
  1. स्टेप 1: फिल्म की रिलीज से पहले उसका वीडियो, डाक्यूमेंट्स आदि सेंसर बोर्ड के पास फीस के साथ रीजनल ऑफिस में जमा करने होते हैं। यदि शॉर्ट फिल्म है तो CBFC और सलाहकार पैनल का एक-एक अधिकारी (जिसमें से एक महिला होना अनिवार्य है) और यदि फीचर फिल्म है तो CBFC और सलाहकार पैनल के दो-दो अधिकारी (जिसमें से 2 महिला होना अनिवार्य है) बतौर एग्जामिनिंग कमेटी फिल्म देखते हैं। इसके बाद पैनल का प्रत्येक व्यक्ति अपनी-अपनी रिपोर्ट देता है, जिसमें फिल्म के सीन, डायलॉग, गाने को काटने, बदलाव करने संबंधी सलाह होती है। फिर ये रिपोर्ट बोर्ड के चेयरपर्सन को भेजी जाती है।  
  2. स्टेप 2: यदि फिल्म में बदलाव करने की जरूरत होती है तो इसे रिवाइजिंग कमेटी के पास फॉरवर्ड किया जाता है। इसमें चेयरपर्सन सहित 9 सदस्य शामिल होते हैं, जो फिल्म देखते हैं और फिर अपनी राय देते हैं। यदि यहां फिल्म में कांट-छांट या बदलाव को लेकर राय नहीं बनती तो फिर दूसरी रिवाइजिंग कमेटी फिल्म को देखती है, जिसमें 5 सदस्य होते हैं, जिसमें से 2 महिला सदस्य होना अनिवार्य है।  
  3. स्टेप 3: रिवाइजिंग कमेटी के निर्देश के अनुसार फिल्मकार अपनी फिल्म में बदलाव कर फिर से फाइनल वीडियो की एक कॉफी रीजनल ऑफिस में जमा करता है और एक बतौर सर्टिफिकेट अपने पास रख सकता है।  
  4. स्टेप 4: यदि फिल्मकार बोर्ड के निर्देशों से संतुष्ट नहीं है तो वो सिनेमेटोग्राफी एक्ट के सेक्शन 5 C के तहत कोर्ट में अपील कर सकता है। कोर्ट के इस पैनल में चेयरपर्सन (रिटायर्ड जज) सहित 4 सदस्य होते हैं। 
इन कुछ मुद्दों को लेकर सुर्ख़ियों में रहा सेंसर बोर्ड: 
  • साल 2012 में प्रोडूसर एकता कपूर की फिल्म द डर्टी पिक्चर को सेंसर बोर्ड ने टीवी पर पर दिखाने पर रोक लगा दी थी। ऐसा बोल्ड कंटेंट होने के कारन हुआ था। इसके बाद एकता ने इंडस्ट्री के कुछ बड़े फिल्म मेकर्स को एकजुट कर बोर्ड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। टीवी पर प्रसारण के कुछ दिनों पहले बोर्ड ने एकता को फिल्म में 59 कट लगाने के साथ ही U/A सर्टिफिकेट दिया था, तब कहीं जाकर फिल्म ऑन एयर हुई थी।
  • 2013 में फिल्म रेस-2 को लेकर एक सोशल एक्टिविस्ट तारा शर्मा ने PIL दायर करते हुए CBI इन्क्वायरी की मांग की थी, जिसमे कहा गया था की सेंसर बोर्ड ठीक से काम नहीं कर रहा है। फिल्म में एक्ट्रेस अमीषा पटेल और अनिल कपूर के बीच कुछ आपत्तिजनक संवाद हैं जिन्हे हटाया नहीं गया है।
  • हाल ही में आई फिल्म एंटरटेनमेंट में बोर्ड ने मेकर्स से कॉमेडियन जॉनी लीवर का फिल्म में नाम बदलने के लिए कहा था। जॉनी का फिल्म में नाम अब्दुल्लाह था। बोर्ड के अनुसार ये एक पवित्र नाम है, जिसको फिल्म में गलत तरीके से बुलाया जा रहा है। इसके बाद फिल्म में जॉनी का नाम हबीदुल्लाह कर दिया गया।
  • अजय और करीना स्टारर फिल्म सिंघम रिटर्न्स पर भी रिलीज़ से पहले कैंची चल चुकी है। फिल्म में अजय डायलाग मारते हैं, मैं यहां इन्वेस्टीगेशन करने आया हूँ, तेरा दो कौड़ी का प्रवचन सुनने नहीं आया। इसे लेकर कुछ हिन्दू संगठनों ने आपत्ति जताई थी, जिसके बाद फिल्म में बदलाव करने पड़े थे।
साभार: भास्कर समाचार
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