Monday, August 18, 2014

अब दस साल का बच्चा ऑपरेट कर सकेगा बैंक खाता, मिलेगा एटीएम और नेट बैंकिंग भी


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अब 10 साल से अधिक उम्र के बच्चों (माइनर) को सेविंग्स बैंक अकाउंट खुलवाने के लिए किसी पर निर्भर होने की जरूरत नहीं रहेगी। मंगलवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा कि अब बैंकों को इस बात की छूट है कि वह 10 साल से अधिक के बच्चों (माइनर) का सेविंग्स बैंक अकाउंट बिना किसी गार्जियन (संरक्षक) के भी खोल सकते हैं और बच्चों को उसे ऑपरेट करने
की इजाजत भी दे सकते हैं। इस समय बैंक बच्चों (माइनर) को उनके सेविंग्स अकाउंट को ऑपरेट करने की इजाजत सिर्फ उसी स्थिति में देते हैं, जब उनके साथ उनके माता-पिता या फिर कोई अन्य गार्जियन हो। इतना ही नहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंकों को इस बात की भी इजाजत दी है कि वह बच्चों (माइनर) को इंटरनेट बैंकिंग, एटीएम, डेबिट कार्ड और चेकबुक जैसी सुविधाएं भी दे। फिलहाल, नियमों के हिसाब से 18 साल से कम की उम्र के हर टीनएजर को माइनर माना जाता है। माइनर अकाउंट की सुरक्षा की दृष्टि से रिजर्व बैंक ने कहा है कि ऐसे अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट जैसी सुविधाएं नहीं दी जा सकती हैं और साथ ही माइनर अकाउंट में हमेशा पॉजिटिव बैलेंस होना जरूरी है। 18 साल पूरे होने पर माइनर को अपने अकाउंट में बैलेंस दिखाना होगा। यदि अकाउंट माता-पिता या फिर किसी अन्य गार्जियन के द्वारा ऑपरेट किया जा रहा है तो फिर बैंक को माइनर के हस्ताक्षर लेकर अपने रिकॉर्ड में रखना होगा। 
बैंक और भी सुविधाएं देते हैं बच्चों को: बैंकों द्वारा बच्चों को और भी कई सारी सुविधाएं दी जाती हैं। हालांकि, ये सुविधाएं सिर्फ तभी दी जाती हैं, जब माइनर अकाउंट माता-पिता या फिर किसी गार्जियन की निर्भरता के साथ खोला गया हो और बच्चा उसे माता-पिता या गार्जियन की देख-रेख में इस्तेमाल करे। ये सुविधाएं अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग हो सकती हैं। आइए जानते हैं इन सुविधाओं के बारे में:
  • बैंक बच्चों को न केवल सेविंग्स अकाउंट की सुविधा देते हैं, बल्कि फिक्स्ड डिपोजिट और रेकरिंग डिपोजिट की सुविधा भी देते हैं।
  • ऐसे केस में अगर बैंक से रिक्वेस्ट की जाए तो बैंक बच्चों को डेबिट कार्ड भी इश्यू कर सकते हैं।
  • बैंकों के द्वारा माइनर अकाउंट में फंड ट्रांसफर की सुविधा भी दी जाती है।
बंद पड़े बैंक खातों पर नहीं लगेगा जुर्माना, उसमें बैलेंस हो या न हो: बैंक ग्राहकों के लिए एक अच्छी खबर है। बंद पड़े (इनऑपरेटिव) खातों में न्यूनतम बैलेंस न रखे जाने पर बैंकों द्वारा जुर्माना लगाए जाने को आरबीआई ने गलत बताया है। आरबीआई ने सभी कमर्शियल बैंकों से साफ कहा है कि ऐसे खातों में न्यूनतम बैलेंस न होने की स्थिति में वह ग्राहक पर जुर्माना नहीं लगा सकते। इससे पहले एक अप्रैल को जारी किए गए अपने पॉलिसी स्टेटमेंट में आरबीआई ने कहा था कि बैंकों को अपने ग्राहकों की दिक्कतों का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। आरबीआई ने कहा था कि साधारण सेविंग्स बैंक अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न होने पर जुर्माना लगाने के बदले बैंकों को चाहिए कि वे उन ग्राहकों की सेवाएं कम कर उतनी कर दें, जितनी एक बेसिक सेविंग्स बैंक अकाउंट धारक को मिलती हैं। उन ग्राहकों की पुरानी सेवाएं तभी बहाल की जाएं, जब वह अपने खाते में न्यूनतम बैलेंस जुटा ले। 

साभार: भास्कर समाचार
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