Tuesday, August 19, 2014

हर व्यक्ति को नहीं मिलता क्रेडिट कार्ड, जानिए क्यों?

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कई बार ऐसा देखा गया है कि दो लोग क्रेडिट कार्ड के लिए एक साथ अप्लाई करते हैं, लेकिन दोनों को क्रेडिट कार्ड नहीं मिल पाता। ऐसे में अक्सर लोग परेशान होते हैं कि उन्हें क्रेडिट कार्ड क्यों नहीं मिल सका है। कई बार यह देरी सिर्फ सामान्य होती है, लेकिन कई बार यह देरी एप्लिकेशन के अस्वीकार होने के कारण होती है। दरअसल, बैंक कोई क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन स्वीकार करने या अस्वीकार करने से पहले कुछ अहम बिन्दुओं पर विचार करते हैं। आइए देखते हैं कि किन
कारणों से क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाता है और साथ ही जानते हैं क्रेडिट कार्ड से जुड़े हिडेन चार्जेज और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में:

इन कारणों से नहीं मिलता क्रेडिट कार्ड:
  • सैलरी कम होना: किसी भी व्यक्ति को क्रेडिट कार्ड जारी करने से पहले बैंक यह जानने की कोशिश करते हैं कि रीपेमेंट करने की उसकी क्षमता क्या है। इसे जानने के लिए बैंक उस व्यक्ति की फॉर्म 16 या सैलेरी स्लिप की मांग करते हैं। यदि उसकी सालाना आमदनी बैंक द्वारा तय दायरे में नहीं आती, तो उस व्यक्ति की एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाता है। अमूमन 20 से 30 हजार रूपए महीने की सैलरी वाले उपभोक्ता को ही क्रेडिट कार्ड दिया जाता है। आईसीआईसीआई बैंक में 30 हजार से ऊपर, एक्सिस बैंक में 25 हजार से ऊपर, एचडीएफसी में 15 हजार से ऊपर और सिटी बैंक में 20 हजार से ऊपर आमदनी वालों को क्रेडिट कार्ड मिलता है। बैंकों द्वारा तय की गई यह सीमा समय-समय पर बदलती रहती है। बैंक आपको क्रेडिट कार्ड देने के लिए बिना किसी कारण के भी मना कर सकते हैं और इसके लिए वह कोई कारण बताने के लिए बाध्य नहीं होते हैं। 
  • ब्लैक लिस्टेड कंपनी या सेक्टर: बैंक ऐसी कंपनियों की एक सूची बना कर रखते हैं जिनके कर्मचारियों को क्रेडिट कार्ड देना वे असुरक्षित मानते हैं। ऐसे में अगर आप उस कंपनी में काम कर रहे हैं, जिसे बैंक ने ब्लैक लिस्ट में डाल रखा है, तो भी आपका क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन रिजेक्ट हो सकता है। इसके अलावा कुछ बैंक कुछ खास क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को क्रेडिट कार्ड नहीं देते। ऐसे में अगर अप्लाई करने वाला व्यक्ति उनमें से ही किसी क्षेत्र में से आता है, तो उसका एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाता है।  
  • खराब क्रेडिट स्कोर: कुछ बैंक केवल उन्हीं लोगों को कार्ड देते हैं जिनका पहले से कहीं लोन चल रहा हो। इस लोन से उस बैंक को उनके क्रेडिट स्कोर का पता चलता है। यानि ऐसे लोगों का क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन भी रिजेक्ट हो सकता है जिनका कोई लोन न चल रहा हो, क्योंकि उनका कोई क्रेडिट स्कोर ही नहीं होता। इसके अलावा उन लोगों के क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन भी रिजेक्ट हो सकते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर खराब हो। अगर आपने अपना कोई लोन डिफॉल्ट किया हो या फिर आप अक्सर अपनी ईएमआई देर से अदा करते हों, तो ऐसी स्थिति में भी आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है।  
  • कई क्रेडिट कार्ड होना: यही नहीं, फिजिकल वैरिफिकेशन न हो सकने की स्थिति में भी आपका एप्लिकेशन रिजेक्ट हो जाता है। इसके अलावा जिन लोगों के पास कई क्रेडिट कार्ड होते हैं, उनके साथ भी ऐसा हो सकता है। सबसे अहम बात यह है कि क्रेडिट कार्ड देने या न देने के नियम हर बैंक में अलग-अलग होते हैं और बैंक किसी व्यक्ति का एप्लिकेशन रिजेक्ट करने की वजह भी नहीं बताते।
ये हैं आपके क्रेडिट कॉर्ड पर लगने वाले ओपन और हिडन चार्जेज:
  • एनुअल फीस और अन्य चार्जेज: फ्री क्रेडिट कार्ड का ऑफर एक साल में खत्म हो जाता है। उसके बाद कार्ड के प्रकार और क्रेडिट लिमिट के आधार पर 500 से 3,000 रुपए तक एनुअल फीस वसूली जाती है।  
  • ओवरड्राफ्ट लिमिट से ज्यादा पर फीस: क्रेडिट लिमिट पार करने पर ग्राहक से यह फीस वसूली जाती है। सामान्य तौर पर यह ओवरड्रॉ करने की लिमिट का एक निश्चित प्रतिशत होती है। कई बार ये अधिक भी हो सकती है। 
  • लेट पेमेंट चार्जेज में पड़ती है मार: क्रेडिट कार्ड कंपनियां ग्राहक द्वारा देरी से किए गए हर पेमेंट पर लेट पेमेंट फीस वसूलती हैं। यह एक निश्चित राशि या बकाया राशि का एक निश्चित प्रतिशत हो सकता है।  
  • आउटस्टेशन चेक पर फीस: यदि ग्राहक आउटस्टेशन चेक से क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करता है तो चेक राशि के निश्चित प्रतिशत के तौर पर सर्विस फीस वसूली जाती है। इसमें न्यूनतम शुल्क तय होता है। 
  • डुप्लिकेट स्टेटमेंट पर फीस: ज्यादातर क्रेडिट कार्ड कंपनियां डुप्लिकेट स्टेटमेंट जारी करने पर निश्चित रशि वसूलती हैं। इस बारे में किसी भी कार्ड कंपनी की कोई एक समान राशि तय नहीं है।  
  • फॉरेन करेंसी ट्रांजैक्शन: विदेशी मुद्रा में लेन-देन को नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर पार्टनर (मास्टर/वीजा) की तय दर के आधार पर रुपए में बदला जाता है। इस राशि पर एक तय प्रतिशत फीस के तौर पर वसूली जाती है। 
  • पेट्रोल और रेलवे टिकट पर फीस: क्रेडिट कार्ड से पेट्रोल और रेलवे टिकट खरीदने पर निश्चित राशि फीस के तौर पर वसूली जाती है। ये एक सुविधा है, जिसे अक्सर लोग अदा करने में दिक्कत महसूस नहीं करते।  
  • कैश विद्ड्रॉल चार्जेस की भी वसूली: क्रेडिट कार्ड से कैश विथड्रॉ करने पर भी फीस वसूली जाती है। यह ट्रांजैक्शन की राशि का निश्चित प्रतिशत हो सकती है। इसे कुछ सामान्य तो कुछ जरूरत से अधिक ही वसूलते हैं।  
  • रिवॉल्विंग इंटरेस्ट रेट्स: ड्यू डेट के बाद हर महीने 1.99% से 4.00% तक की दर से ब्याज चुकाना पड़ सकता है। भले ही यह चार्ज मुनासिब लगे, पर एपीआर में बदलते हैं तो यह 27% से 48% हो जाता है।  
  • सर्विस टैक्स है 12.24 प्रतिशत: क्रेडिट कार्ड की फीस, ब्याज और अन्य चार्जेस पर भी 12.24% की दर से सर्विस टैक्स वसूला जाता है, इसलिए ब्याज और अन्य चार्जेस को कम कर सर्विस टैक्स से भी राहत मिलती है। 
हिडन चार्जेस से निपटने के लिए कुछ टिप्स:
  • आवेदन करने से पहले क्रेडिट कार्ड पर पर्याप्त रिसर्च करें। पता करें कि किस कंपनी का कौन-सा कार्ड ज्यादा फायदेमंद रहेगा।  
  • शुरुआती रेट्स और क्रेडिट कार्ड से जुड़े चार्जेज को समझें। साथ में मिली बुकलेट और कार्ड के पीछे छपे नियमों को अच्छे से पढ़ें।
  • शॉपिंग के दौरान समझदारी बरतें। गैरजरूरी वस्तुएं न खरीदें।
  • ब्याज समय पर और बिल में दिए चार्ज से ज्यादा ही चुकाएं।
  • मासिक स्टेटमेंट पढ़े और समझें। गैरजरूरी चार्ज की शिकायत करें।
  • अपने क्रेडिट कॉर्ड की जो क्रेडिट लिमिट है, उससे ज्यादा खर्च कभी न करें।

साभार: भास्कर समाचार
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