Tuesday, July 1, 2014

कितने बदल रहे हमारे लिए डॉक्टर्स (डॉक्टर्स डे पर विशेष)

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भारतीय चिकित्सक डॉ. बिधानचंद्र राय का जन्म दिवस एक जुलाई को मनाया जाता है। उनका जन्म 1882 में बिहार के पटना जिले में हुआ था। कोलकाता में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. राय ने एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि लंदन से प्राप्त की। 1911 में उन्होंने भारत में चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की। इसके बाद वे कोलकाता मेडिकल कॉलेज में व्याख्याता बने। वहां से वे कैंपबैल मेडिकल स्कूल और फिर कारमिकेल मेडिकल कॉलेज गए। उनकी ख्याति एक शिक्षक एवं चिकित्सक के रूप में नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण बढ़ी। भारतीयों के लिए प्रेम और सामाजिक उत्थान की भावना डॉ. राय को राजनीति में ले आई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य बने और बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद संभाला। डॉ. राय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। उनके जन्म दिवस को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाता है। डॉक्टरों ने इलाज को मरीजों के लिए आसान बनाने की फिक्र की। नई टेक्नोलॉजी, ट्रेनिंग और टेक्नीक के जरिए हमें सहूलियत देने की कोशिश की। कंडक्ट, कंसर्न और कंफर्ट का ख्याल रखा। आज कुछ ऐसी ही जानकारी जो हमारे लिए है, हमारे काम की।

हर साल देश में 30000 नए डॉक्टर, 18000 स्पेशलिस्ट और 30000 आयुष तैयार होते हैं। एक सर्वे के मुताबिक़ एक भारतीय डॉक्टर औसतन 2 मिनट अपने हर ओपीडी यानी आउटडोर पेशेंट डिपार्टमेंट के सामान्य मरीज को दे पाता है, जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के मुताबिक 10 मिनट का समय हर मरीज के साथ डॉक्टर को बिताना चाहिए। आइए जानते हैं आज के डॉक्टर और अस्पताल मरीजों के लिए कितने बदल रहे हैं:
कंफर्टः आईसीयू-हॉस्पिटल अब घर पर: आईसीयू भी अब आपके घर में आ सकता है। ये उनके लिए जो हैल्थ केयर में घर का कंफर्ट चाहते हैं। खासकर क्रोनिक (दीर्घकालिक) बीमारियों, पोस्ट सर्जरी रिहेबिलिटेशन और वृद्धों के लिए। जिसमें हॉस्पिटल इंस्ट्रूमेंट के साथ डॉक्टर्स, नर्स, फिजियोथेरेपिस्ट की सुविधा आपके घर पर अरेंज हो सकती है। इसके अलावा हर ट्रीटमेंट जैसे कीमोथेरेपी, ब्लड ट्रांसफ्यूजन, एमआईआई, एक्स-रे, ब्लड टेस्ट भी घर पर हो सकता है।   
टेस्ट से इलाज तक घर पर ही:76 वर्षीय राजकुमारी श्रीवास्तव को ल्यूकेमिया था। कमजोरी की वजह से अस्पताल जाना संभव नहीं था। समय-समय पर ब्लड ट्रांजफ्यूजन की जरूरत थी। उन्होंने हॉस्पिटल एट होम सर्विस का इस्तेमाल किया। एक फुलटाइम नर्स मिली। साथ ही ब्लड ट्रांजफ्यूजन की सुुविधा भी घर पर। उनके शहर का फोर्टिस अस्पताल हर ट्रांजफ्यूजन के 5600 रुपए फीस चार्ज करता था। हॉस्पिटल एट होम सर्विस ने इसके 7000 रुपए लिए जो सर्विस के मुताबिक कोई ज्यादा नहीं थे।
बड़े ही नहीं छोटे शहर में भी: हैल्थ केयर एट होम, पोर्टिया, मेडवेल, इंडिया होम हैल्थ केयर जैसी कंपनीज दिल्ली, चंडीगढ़, मुंबई, बैंगलुरु, जयपुर, इंदौर, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे आदि शहरों में ये सुविधा दे रही हैं। 
टेक्नीक-स्टिचलेस सर्जरी: ये तकनीक कमर दर्द, साइटिका और स्लिप डिस्क जैसी स्पाइन से जुड़ी समस्याओं के लिए है। जिसमें बिना हड्डी या मांसपेशियों की चीर-फाड़ के स्टिचलेस स्पाइन सर्जरी की जाती है। मिनिएचर एंडोस्कोपी, रेडियोफ्रीक्वेंसी वेव्ज और लेजर का इस्तेमाल होता है। 24 घंटे के भीतर मरीज को अस्पताल से छुट्टी भी मिल जाती है।
बिना घाव ऑपरेशन: प्रशांत कुमार को भारी वजन उठाते समय कमर और कूल्हों में असहनीय दर्द हो गया था। पैर सुन्न हो रहे थे। एमआरआई में साफ नजर आ रहा था कि उन्हें स्लिप डिस्क की समस्या है। सिम्पल लोकल एनेस्थेशिया देकर उनका इलाज हुआ। बिना बिना दर्द वाले ऑपरेशन के उन्हें इस असहनीय दर्द से छुटकारा मिल गया। 
देश में सात ऑर्थोपेडिक सर्जरी: पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल, कोयम्बटूर के कोवाई मेडिकल सेंटर एंड हॉस्पिटल में ये सर्जरी की जाती है। पुणे के न्यूरोसर्जन जयदेव पंचवाघ और कोयम्बटूर के ऑर्थोपेडिक स्पाइन सर्जन श्रीधरन नम्बूथीरी जैसे देश में सात ऑर्थोपेडिक और न्यूरोसर्जन पीईएलडी स्टिचलेस स्पाइन सर्जरी करते हैं। 
ट्रेनिंग: अस्पतालों ने फॉर्माकोपिया डिपार्टमेंट बनाया है। जहां दवाईयों की लिस्ट होती है। डॉक्टर लिस्ट से अलग दवाई नहीं लिख सकते। एम्स में डॉक्टर्स के लिए कम्यूनिकेशन वर्कशॉप हो रहे हैं। जिसमें डॉक्टरों को बिहेवियर ट्रेनिंग दी जा रही है। मेदांता में एलोपैथी और आयुर्वेदिक तकनीक की ज्वाइंट ट्रेनिंग हो रही है। न्यूरो मरीजों को इसका फायदा मिल रहा है। 
टेक्नोलॉजी-रोबोटिक सर्जरी: सर्जन की अंगुलियों पर कम्प्यूटर का पावर लाने वाली रोबोटिक सर्जरी आधुनिक मेडिकल तकनीक है। सर्जिकल कंसोल में थ्री डायमेंशन विजन रियल टाइम नजर आता है। सर्जन मेगनीफिकेशन के साथ देख सकता है। रोबोटिक इंस्ट्रूमेंट में सूक्ष्म आर्म्स लगे होते हैं। सर्जन पैरों और हाथ से कंट्रोल करते हैं। सॉफ्टवेयर के जरिए फंक्शन काम करते हैं। मेदांता गुड़गांव, एम्स दिल्ली, केआईएमएस हैदराबाद, मनिपाल बेंगलुरु, एशियन मुंबई, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट दिल्ली, मूलजीभाई किडनी इंस्टीट्यूट नाडियाद, एस्कॉर्ट दिल्ली और फोर्टिस दिल्ली में रोबोटिक सर्जरी की जाती है। देश में 13 रोबोट्स हैं जिनसे सर्जरी होती है।
ब्लीडिंग बिना हुआ ऑपरेशन: ब्लेडर में कैंसर की मरीज 50 साल की महिला की एम्स में सर्जरी हुई। ये चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि जरा सी इंज्यूरी से गंभीर ब्लीडिंग हो सकती थी। यहां बिना ब्लड लॉस के कम समय में सर्जरी पूरी हुई। पोस्ट सर्जरी कॉम्प्लीकेशन नहीं थे। मरीज को एक हफ्ते में छुट्टी दे दी। 
क्लाउड: क्लाउड कम्प्यूटिंग पर हेल्थ इंफॉर्मेशन सिस्टम को लाना। इसके जरिए देशभर में कहीं भी बैठे मरीज की हैल्थ इंफो देश में कहीं भी बैठा डॉक्टर एक्सेस कर सकता है। इसके जरिए हर मरीज की डीटेल्स कई बार क्रॉस चैक हो सकती है। मैक्स हेल्थ केयर ने डेल कंपनी के साथ मिलकर अपने मरीजों का दस साल का डाटाबेस क्लाउड पर डाल दिया है। ये दस लाख रिकॉर्ड अब कहीं से भी एक्सेस किए जा सकते है।
हाईटेक हुआ ये डाटाबेसः मैक्स के देशभर में फैले अस्पताल, बैंगलुरू के वासन आई केयर के देशभर के सेंटर्स मरीजों के डाटाबेस के स्टोरेज और एक्सेस के लिए क्लाउड का इस्तेमाल कर रहे हैं।
गूगल ग्लास: गूगल ग्लास तकनीक में डॉक्टर लाइव सर्जरी देख सकते हैं। वॉइज कमांड के साथ ये काम करता है। जिसे इस तकनीक के बारे में नहीं पता वह ये भी समझ सकता है कि डॉक्टर खुद से बातें कर रहे हैं। ये सर्जिकल प्रोसीजर रिकॉर्ड करता है। मरीज का हैल्थ रिकॉर्ड मेंटेन किया जा सकता है। डॉ पवन कुमार ने गूगल ग्लास तकनीक के जरिए कॉम्प्लीकेटेड हार्ट सर्जरी की। उन्होंने गूगल ग्लास पहना और गो ग्लास बोलते ही सर्जरी की रिकॉडिंग होने लगी। मरीज की मेडिकल हिस्ट्री मौजूद थी। 
यहां हो रहा इस्तेमालः नानावटी हॉस्पिटल मुंबई, अपोलो दिल्ली, मैक्स हॉस्पिटल हैदराबाद, मेदांता गुडग़ांव, लाइफ लाइन अस्पताल चेन्नई इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
कंडक्ट- कारोबार नहीं, सिर्फ मरीज की सुविधा: एमसीआई ने डॉक्टरों के लिए सख्त नियम बनाए हैं: 
  • गिफ्ट लेना है मनाः फार्मा कंपनियों से किसी भी मौके पर गिफ्ट न लें। 
  • हॉस्पिटेलिटी सुविधा के लिए भी मनाहीः डॉक्टर खुद या अपने परिवार के किसी भी होटल या गेस्ट हाउस में ठहरने का खर्च किसी फार्मा कंपनी से नहीं लेंगे। 
  • कैश लेने पर रोकः ग्रांट के नाम पर आर्थिक मदद लेना भी मना है। रिसर्च के लिए मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट से ही यह लेना होगा। 
  • ट्रेवल का खर्च न लें: किसी फार्मा कंपनी या किसी अन्य एजेंट के खर्च पर पर्यटन यात्राओं की मनाही है। कॉन्फ्रेंस, सेमिनार, वर्कशॉप के नाम पर भी ऐसा करना अपराध माना जाएगा। 
  • मेरे लिए क्या- मरीज को कोई खास दवा लिखने या किसी विशेष जांच के लिए सलाह देने के एवज में भी डॉक्टर किसी फर्म या कंपनी से लाभ नहीं ले सकते। इससे हमें व्यर्थ की दवाओं और टेस्ट से निजात मिलने की उम्मीद। 
  • कैपिटल अक्षरों में प्रिस्क्रिप्शन लिखना जरूरी: कैपिटल अक्षरों में ही मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन लिखा जाना चाहिए। खान-पान संबधी निर्देश साफ बड़े अक्षरों में लिखे जाएं। जो टेस्ट करवाने हैं, ड्रग का नाम और कितना डोज लेना है वह भी बड़े अक्षर में लिखे जाएं। प्रिस्क्रिप्शन के लिए ए-5 साइज से छोटा पेपर न हो, उस पर मरीज का नाम, ईमेल और फोन नंबर भी लिखा हो। 18 साल से छोटे मरीज का वजन लिखना भी जरूरी है। 
  • मेरे लिए क्या: मरीज और कैमिस्ट पर्चा पढ़कर दवाईयां के नाम में कंफ्यूज नहीं होंगे, गलती की संभावना कम होगी। 
कंसन-चैरिटी के लिए आगे आए डॉक्टर
देश में महंगी हार्ट सर्जरी, किडनी ट्रांसप्लांट, नी-रीप्लेसमेंट, कैटरेक्ट ऑपरेशन मुफ्त या काफी कम कीमत पर। दवाईयों और अस्पताल में रहने की फीस माफ। कई बार सर्जरी का खर्च भी आधा या नहीं लिया जाता।
  • मजदूर के बेटे का फ्री ट्रीटमेंट-सर्जरीः कोलकाता की एक महिला ने मजदूरी कर अपने बेटे की हार्ट सर्जरी के लिए कुछ पैसे जुटाए थे। जो पैसे थे वह देश के किसी भी अस्पताल में इतने बड़े ऑपरेशन के लिए काफी नहीं थे। महिला कोलकाता से बैंगलुरु नारायण हृदयालय पहुंची तो न केवल इतनी महंगी सर्जरी मुफ्त की गई। बल्कि इलाज के दौरान 15 दिन अस्पताल में रहने और दवाईयों का खर्च भी नहीं लिया गया। देश के बाकी कार्डिक सेंटर दिन में 8-10 सर्जरी करते हैं, यहांं हर दिन 30 सर्जरी होती हैं। 
  • यहां मिलेगी मदद: नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट दिल्ली और 14 शहरों में स्थित नारायण हृदयालय, दोनों जगह मुफ्त कार्डिक सर्जरी होती है। श्री सत्यसांई इंस्टीट्यूट ऑफ हॉस्पिटल बैंगलुरु में इलाज-सर्जरी होती है। स्माईल केयर इंडिया बच्चों के होंठ क्लिेफ्ट का मुफ्त ऑपरेशन करते हैं। शंकर नेत्रालय चेन्नई में आंखों का ऑपरेशन मुफ्त किया जाता है। मुंबई के टाटा मेमोरियल अस्पताल में कैंसर का इलाज किया जाता है।
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साभार: भास्कर समाचार
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