Saturday, September 29, 2012

शिक्षक भर्ती बोर्ड कर रहा है फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच, उम्मीद्वारों के साथ अधिकारी भी जा सकते हैं जेल

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हरियाणा के सरकारी स्कूलों में लेक्चरर बनने की हसरत में फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवाने का एक बहुत बड़ा घोटाला शिक्षक भर्ती बोर्ड की नजर में आया है। इस घोटाले के तार यूपी तक फैले हुए हैं।भर्ती बोर्ड के अधिकारी जांच करने में जुटे हुए हैं कि  कितने उम्मीदवारों ने फर्जी एक्सपीरिएंस सर्टिफिकेट बनवाए हैं और बनाने वाला कौन है। जल्दी ही बोर्ड इस जांच की विस्तृत रिपोर्ट बना कर शिक्षा विभाग को भेजेगा और विभाग को दोषी उम्मीदवारों के साथ-साथ विद्यालय संचालकों और डीईओ, बीईओ आदि के खिलाफ आपराधिक मुकद्दमा दर्ज करवाने को कहेगा।
कैसे हुयी अनियमितता: हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने प्रदेश के स्कूलों में 14216 पीजीटी की भर्ती के लिए जून माह में विज्ञापन जारी किया जिसके अनुसार पीजीटी बनने के लिए
HTET पास होना जरूरी शर्त थी, परन्तु जिन अभ्यर्थियों का HTET  क्लीयर नहीं है, उन्हें कम से कम चार साल का अध्यापन अनुभव होने पर HTET से 2015 तक की छूट दी गयी है। और इसके बाद शुरू हुआ, फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनवाने और बनाने का खेल। बोर्ड का अनुमान है कि वैसे तो पूरे हरियाणा में आधे से भी अधिक प्रमाण पत्र फर्जी हो सकते हैं, परन्तु जींद, पानीपत, अम्बाला, मेवात, कैथल, सोनीपत आदि जिलों में इनकी संख्या कहीं अधिक है।
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कैसे घूमी शक की सुई: बोर्ड ने इंटरव्यू के दौरान जमा करवाए गए अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच की तो पता चला कि एक एक निजी स्कूल ने सैंकड़ों प्रमाण पत्र जारी कर रखे हैं। नरवाना (जींद) के एक विद्यालय और अलीगढ (उत्तर प्रदेश) के एक निजी कॉलेज ने तो विभिन्न विषयों के प्राध्यापकों के इतने प्रमाण पत्र जारी किये हुए हैं, जितने एक विश्वविद्यालय में भी शायद न हों। वहीँ कई स्कूलों में तो उन विषयों के प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए गए जो वहाँ कभी पढाये ही नहीं गए। ग्रामीण विद्यालयों में जहाँ अंग्रेजी, हिंदी के प्राध्यापक का भी अभाव रहता है, वहां साइकोलोजी, सोश्योलोजी, होम साइंस, फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे विषयों के प्राध्यापकों के प्रमाण पत्र बना दिए गए। 
आगे क्या हो सकता है: बोर्ड द्वारा जांच के बाद अगला कदम राज्य के शिक्षा अधिकारियों के लिए भी बहुत खतरनाक हो सकता है। गौरतलब है कि अनुभव प्रमाण पत्र बनाने की एक सुनियोजित सरकारी प्रक्रिया है, जिसके अनुसार विद्यालय के हाजिरी रिकॉर्ड, वेतन रिकॉर्ड आदि के आधार पर स्कूल मुखिया को सत्यापित करना होता है कि  अध्यापक ने वास्तव में ही इस विद्यालय में पढाया है। उसके पश्चात ब्लाक, जिला व राज्य मुख्यालय के अधिकारियों को भी अध्यापक के सर्विस रिकॉर्ड की जांच पड़ताल के उपरान्त अनुभव प्रमाण पत्र को काउंटर साइन करना होता है। एक ही विद्यालय से सैंकड़ों प्रमाण पत्र जारी होना अकेले स्कूल संचालक के बस की बात नहीं है, इस में अधिकारियों की मिलीभगत होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका मतलब ये हुआ कि यदि जांच के दौरान अनियमितता पायी जाती है तो अधिकारियों पर भी गाज गिरना तय है।
क्या दंड है: इस प्रकार की अनियमितता पाए जाने पर फर्जीवाड़े के आरोप में आईपीसी की धारा 420 और आपराधिक षड्यंत्र के मामले में धारा 120बी के तहत मुकद्दमा दर्ज हो सकता है जिसके लिए सात से दस साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
स्रोत: आज समाज समाचार पत्र (28 सितम्बर,2012 हिसार संस्करण)