Friday, June 15, 2012

हरियाणा में लेक्चरर भर्ती नए नियमों के कारण विवादों में घिरी

हरियाणा स्कूल टीचर भर्ती बोर्ड द्वारा विज्ञापित 14216 पीजीटी की भर्ती विवादों में घिर चुकी है । बहुत से अभ्यर्थी बोर्ड द्वारा बनाए गए नियमों के कारण भर्ती प्रक्रिया से बाहर हो चुके हैं जिनमें पात्र अध्यापक संघ आदि के पदाधिकारी भी शामिल हैं । आइए, बोर्ड के नए नियमों के बारे में जानें जिनकी वजह से अधिकाँश अभ्यर्थियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है :
1. सबसे बड़ी समस्या जो सामने आ रही है, वह है "कंसिस्टेंट गुड अकेडमिक रिकॉर्ड" जिसके अनुसार पीजीटी पद के लिए केवल वही लोग आवेदन कर सकते हैं जिनके दसवीं, बारहवीं तथा ग्रेजुएशन में से दो परीक्षाओं में 50% तथा एक में कम से कम 45% अंक होना अनिवार्य है । वैसे तो यह नियम
कोई ज्यादा कठिन भी नहीं है लेकिन अधिकतर ऐसे मामले देखने में आ रहे हैं जिनमें अभ्यर्थी ने बारहवीं कक्षा के बाद अंक भी अच्छे अर्जित किये हैं और उसके बाद एमए, एमफिल, पीएचडी, बीएड आदि भी अच्छे अंकों से की है परन्तु दसवीं या बारहवीं में 39% अंकों की वजह से वह इस पद के लिए आवेदन भी नहीं कर पा रहे हैं । इस मामले में बहुत से लोगों ने कोर्ट जाने का मन बना लिया है तो कई लोगों ने मुख्यमंत्री से मिलकर समाधान करने का विचार किया है ।
2. कुछ विषय ऐसे हैं जिनके लिए ग्रेजुएशन या पोस्टग्रेजुएशन में अनिवार्य विषयों का दायरा कम कर दिया गया है, जैसे: पहले राजनीति शास्त्र के लेक्चरर के लिए एमए में राजनीति शास्त्र अथवा लोक प्रशासन में से कोई भी विषय हो सकता था परन्तु नए नियमों के अनुसार राजनीति शास्त्र पीजीटी हेतु एमए (राजनीति शास्त्र) अनिवार्य है, जिन्होंने लोक प्रशासन से मे  एमए  किया है वे कहाँ जाएँ, गौरतलब है कि  इस भर्ती  में लोक प्रशासन के पीजीटी के एक भी पद के लिए विज्ञापन नहीं दिया गया है। इसी प्रकार फिजिकल एजुकेशन लेक्चरर  के लिए पहले एमपीएड योग्यता निर्धारित थी जबकि अब एमए (फिजिकल एजुकेशन) के इलावा बीएड का होना अनिवार्य कर दिया गया है ।
3. जिन अभ्यर्थियों का एचटेट पास नहीं है उनके पास यदि चार साल का अनुभव है तो वे पीजीटी पद के लिए योग्य माने गए हैं । परन्तु उनके लिए भी शर्तें बहुत कठिन रखी गयी हैं जैसे: बीएड क्वालिफिकेशन, जिस पद के लिए आवेदन किया जा रहा है उसी पद के पर अध्यापन का चार वर्ष होना चाहिए। वैसे देखा जाये तो यह शर्त भी गलत तो नहीं है क्योंकि इस में उन अभ्यर्थियों को भी मौका मिल रहा है जो शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुसार अध्यापक भर्ती में भाग लेने के लिए योग्य ही नहीं हैं। ध्यान देने योग्य बात है कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के अनुसार किसी भी राज्य में अध्यापक बनने के लिए TET (अध्यापक पात्रता परीक्षा) पास करना जरुरी है। ऐसे में चार साल के अनुभव वाले अध्यापकों को छूट देने का नियम दोगला प्रतीत होता है, परन्तु इस में भी संशोधन की इच्छा रखने वाले अभ्यर्थी भर्ती  को कोर्ट में चुनौती देने का मन बना रहे हैं ।

इसी प्रकार अन्य और भी छोटे-छोटे बिंदु हैं जिनके चलते भर्ती पर विवाद होना लगभग तय है, और कहीं न कहीं शायद सरकार की मंशा भी यही हो कि भर्ती  पर केस हों, और भर्ती निर्धारित समयावधि में न हो पाए । इसके पीछे विशेषज्ञों का तर्क है कि यदि भर्ती अगले विधानसभा चुनाव तक लटक जाती है तो सरकार को वोट भुनाने में काफी मदद मिल सकती है । बहरहाल भर्ती हेतु आव्दन प्रक्रिया जारी है जो 28 जून तक चलेगी, और साथ साथ भर्ती के नए नियमों के शिकार अभ्यर्थी कोर्ट जाने की तैयारियों में जुटे हैं। देखना ये है की भर्ती निर्धारित समय में हो पाती है या नहीं ।